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Showing posts from March, 2017

क्या लिखूँ

क्या लिखूँ दिल की हकीकत आरज़ू बेहोश है,ख़त पर हैं आँसू गिरे और कलम खामोश है!

‪मैं इसलिए कष्ट में नहीं हूँ

‪मैं इसलिए कष्ट में नहीं हूँ कि नींद नहीं आ रही बल्कि इसलिए कष्ट में हूँ कि किसी भी तरह तुम्हें "जगा" नहीं पा रहा.‬😧 "सुखिया सब संसार है खावै अरु सोवै, दुखिया दास कबीर है,जागै अर...

तुम्हीं पे मरता है ये दिल

"तुम्हीं पे मरता है ये दिल, अदावत क्यों नहीं करता कई जन्मों से बंदी है, बगावत क्यों नहीं करता कभी तुमसे थी जो, वो ही शिकायत है ज़माने से मेरी तारीफ़ करता है, मुहब्बत क्यों नहीं ...

मैं तुम्हें अधिकार दूँगा

मैं तुम्हें अधिकार दूँगा एक अनसूंघे सुमन की गन्ध सा मैं अपरिमित प्यार दूँगा मैं तुम्हें अधिकार दूँगा सत्य मेरे जानने का गीत अपने मानने का कुछ सजल भ्रम पालने का मैं सबल आध...

होटों पे हँसी आँख में तारों की लड़ी है

होटों पे हँसी आँख में तारों की लड़ी है वहशत बड़े दिलचस्प दो-राहे पे खड़ी है दिल रस्म-ओ-रह-ए-शौक से मानूस तो हो ले तकमील-ए-तमन्ना के लिए उम्र पड़ी है चाहा भी अगर हम ने तेरी बज्म से ...

तलब की आग किसी शोला-रू से रौशन है

तलब की आग किसी शोला-रू से रौशन है खयाल हो के नज़र आरजू से रौशन है जनम-जनम के अँधेरों को दे रहा है शिकस्त वो इक चराग के अपने लहू से रौशन है कहीं हुजूम-ए-हवादिस में खो के रह जाता जमा...

दिल-ए-दीवाना अर्ज़-ए-हाल पर माइल तो क्या होगा

दिल-ए-दीवाना अर्ज़-ए-हाल पर माइल तो क्या होगा मगर वो पूछे बैठे खुद ही हाल-ए-दिल क्या होगा हमारा क्या हमें तो डूबना है डूब जाएँगे मगर तूफान जा पहुँचा लब-ए-साहिल तो क्या होगा शरा...

काबिल अजमेरी

तुम्हें जो मेरे गम-ए-दिल से आगाही हो जाए जिगर में फूल खिलें आँख शबनमी हो जा अजला भी उस की बुलंदी को छू नहीं सकती वो जिंदगी जिसे एहसास-ए-जिंदगी हो जाए यही है दिल की हलाकत यही है इ...

poetry

कभी समंदर किनारे नर्म, ठंडी रेत पर बैठे हुए डूबते हुए सूरज को निहारना ....... और फ़िर यूँ लगे कि मन भी उसी के साथ हो लिया हो। इस दुनिया की उथल-पुथल से दूर, बहुत दूर और पा लेना कुछ सुकून भ...