हिजाब विवादित मुद्दा
हिजाब विवाद के बीच सबसे ज्यादा ' जो सवाल उठ रहा है , वह यह है कि इस्लाम में हिजाब को लेकर क्या व्यवस्था है । इस्लाम में हिजाब अनिवार्य है या नहीं इसे समझने के लिए कुछ लेख पर्याप्त नहीं हैं । इस मुद्दे को सही से समझना है तो कई किताबें पढ़ने की जरूरत होगी । इसके बाद हिजाब और नकाब के बीच के अंतर को समझा जा सकता है । सुन्नी समुदाय में चार प्राथमिक विचारधाराएं हैं हनफी , मलिकी , शाफी और हनबली हनफियों और मलिकियों का मानना है कि महिला के चेहरे और हाथों को ढकना अनिवार्य नहीं है , जबकि इमाम शाफी और हनवली विचारधारा के अनुयायियों का कहना है कि महिला को पूरी तरह से ढका होना चाहिए । इस्लाम में आस्था एक व्यक्तिगत मामला है । इस्लामी शिक्षा दो चीजों के बारे में स्पष्ट है : आस्था और सामाजिक व्यवस्था । व्यक्ति की अपनी आस्था होती है लेकिन उसे समाज में कैसे रहना है , इसका भी ध्यान रखना चाहिए । एक हदीस से सीख मिलती है कि वह काम करना जिससे सकारात्मक नतीजा निकले और वह काम छोड़ देना , जिसका प्रभाव नकारात्मक हो । पैगंबर साहब पर कुरान की जो पहली आयत आई , वह थी ' पढ़ो ! ' ( इकरा ) जिस पर सभी विद्वान एकमत हैं कि पैगंबर साहब को खुदा से मिली पहली आयत शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालती है । इस आयत के महत्व को उन्होंने अपने जीवन में कई बार प्रदर्शित किया । एक किस्सा है कि वर्ष 624 में अरब के मदीना शहर के पास स्थित बदर में हुए युद्ध में मुहम्मद साहब के साथियों ने करीब 70 लोगों को मदीना में कैद कर लिया । वहां मुहम्मद साहब ने उनकी रिहाई के लिए केवल एक शर्त निर्धारित की कि जो व्यक्ति मदीना के 10 बच्चों को पढ़ाएगा , रिहा कर दिया जाएगा । मुहम्मद साहब की इन सीखों को देखते हुए एक शिक्षण संस्थान में आने - जाने के लिए किसी विशेष पहनावे को लेकर विवाद निराशाजनक है । यह सही नहीं है । सबको मिलकर प्रयास यह करना चाहिए कि इसका सर्व स्वीकार्य हल निकले । मुहम्मद साहब का एक कथन है कि शिक्षा प्राप्त करने के लिए अगर चीन की भी यात्रा करनी पड़े तो करो । उस समय अरब से चीन की यात्रा ऊंट और घोड़ों पर करना हर किसी के बस की बात नहीं थी । यहां उनका तात्पर्य यह था कि शिक्षा के रास्ते में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं , उनकी वजह से अपनी शिक्षा में रुकावट न आने दो । इस्लाम में शिक्षा का महत्व हिजाब या किसी और मुद्दे से कहीं बड़ा है । यह धार्मिक और सामाजिक नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे लोगों को और आने वाली पीढ़ियों को शिक्षा सर्वोपरि की अहमियत बताएं । समाज में सामंजस्य रहे , इसकी जिम्मेदारी समाज और सरकार दोनों की होती है । प्रयास यह होना चाहिए कि कैसे आने वाली पीढ़ी तक सही बात पहुंचाई जाए ताकि उनके व्यक्तित्व का सकारात्मक निर्माण हो सके । होता है । व्यक्ति निर्माण से ही समाज का निर्माण होता है।
दिपेश कुमार वर्मा
मेरठ उत्तर प्रदेश
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