पकड़ लो तुम हाँथ मेरा नही तो भीड़ में खो जाउगा मै

पकड़ लो तुम हाँथ मेरा नही तो भीड़ में खो जाउगा मै
बिखर जाउगा सम्भाल लो मुझे
रख लो सम्भाल के आँचल में अपने
बड़ा सुकून मिलता है मुझे वह

सासे रोकी है कई बार अपनी
केवल अपना नाम आपके मुह से सुनने के लिए
बेबात रोया हू कई बार, न जाने किस लिए
अकेला था, अकेला हू और अकेला ही रहूगा
यही शायद किस्मत है मेरी

यह khwaish सच बड़ी अजीब होती है
जाने किस किस चीज़ की उम्मीद कर जाती है
देखिये न पागलपन पता नही क्या लिख डाला
पता नही किस सोच में

सोचता हू सब कुछ है पास मेरे
सिवाय तेरी आस के....................

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