साँझ ही स्याम को लेन गई

साँझ ही स्याम को लेन गई सुबसी बन मे सब जामिनि जायकै ।
सीरी बयार छिदे अँधरा उरझे उर झाँखर झार मझाइकै ।
तेरी सी को करिहै करतूति हुती करिबे सो करी तै बनाइकै ।
भोर ही आई भटू इत मो दुख दाइन काज इतो दुख पाइकै ।

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