तुम मुस्कुराते हो |dipesh kumar verma|

हम दर्पण है एक दूसरे के 
इसलिए बिछड़ने का दुःख नहीं रहा 
जब भी खुद को देखता हूँ 
तुम मुस्कुराते हो ||

      ''बैरागी''

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