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Showing posts from April, 2017

सैनिकों पे हमला ये शत्रु करे बार - बार

सवाल चुभे तो सूचित कीजिये- तिरंगे को ओढ़ आये सैनिक सवाल करे समस्या निदान वाला,,,आज कब आएगा, सैनिकों पे हमला ये शत्रु करे बार - बार अपनी हरकतों से,,,,,,बाज कब आएगा,, भारत की वीर सेना शहा...

क्या था *साईमन कमीशन*?

क्या था *साईमन कमीशन*? जब बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर विदेश से पढकर भारत में बडौदा में नौकरी करने लगे तो उनके साथ बहुत ज्यादा जातिगत भेदभाव हुआ। इस कारण उन्हें 11 वें दिन ही नौकरी छो...

आँखों के ग़म-कदों में उजाले हुए तो हैं

आँखों के ग़म-कदों में उजाले हुए तो हैं बुनियाद एक ख़्वाब की डाले हुए तो हैं तलवार गिर गई है ज़मीं पर तो क्या हुआ दस्तार अपने सर पे सँभाले हुए तो हैं अब देखना है आते हैं किस सम्...

यही शाख़ तुम जिसके नीचे चश्म-ए-नम हो

यही शाख़ तुम जिसके नीचे चश्म-ए-नम हो अब से कुछ साल पहले मुझे एक छोटी बच्ची मिली थी जिसे मैंने आग़ोश में ले कर पूछा था, बेटी यहां क्यूं खड़ी रो रही हो मुझे अपने बोसीदा आंचल में फ...

मेरी माँ अब मिट्टी के ढेर के नीचे सोती है

मेरी माँ अब मिट्टी के ढेर के नीचे सोती है उसके जुमले, उसकी बातों, जब वह ज़िंदा थी, कितना बरहम (ग़ुस्सा) करती थी मेरी रोशन तबई (उदारता), उसकी जहालत हम दोनों के बीच एक दीवार थी जैसे '...

बर्तन,सिक्के,मुहरें, बेनाम ख़ुदाओं के बुत टूटे-फूटे

बर्तन,सिक्के,मुहरें, बेनाम ख़ुदाओं के बुत टूटे-फूटे मिट्टी के ढेर में पोशीदा चक्की-चूल्हे कुंद औज़ार, ज़मीनें जिनसे खोदी जाती होंगी कुछ हथियार जिन्हे इस्तेमाल किया करते ...

सुमन बनें हम हर क्यारी के

सुमन बनें हम हर क्यारी के बन उपवन महकें, चलो दोस्त! हम सूरज बनकर धरती पर चमकें! एक धरा है, एक गगन है, सब की खातिर एक पवन है, फिर क्यों बँटा-बँटा-सा मन है? आओ स्नेह-कलश बनकर हम हर उर मे...

कितने सूरज हैं तुम्हारे सीने में

कितने सूरज हैं तुम्हारे सीने में कितनी नदियाँ हैं कितने झरने हैं कितने पहाड़ हैं तुम्हारी देह में कितनी गुफ़ाएँ हैं कितने वृक्ष हैं कितने फल हैं तुम्हारी गोद में कितने ...

तुम नहीं मिलती तो भी

तुम नहीं मिलती तो भी मैं नदी तक जाता छूता उसके हृदय को गाता बचपन का कोई पुराना अधूरा गीत तुम नहीं मिलती तो भी तुम नहीं मिलती तो भी पहाड़ के साथ घंटों बतियाता वृक्षों का हाथ प...

जख्म बन जानेँ की आदत है

जख्म बन जानेँ की आदत है उसकी रुला कर मुस्कुरानेँ की आदत है उसकी मिलेगेँ कभी तोँ खुब रूलायेँ उसको, सुना है रोतेँ हूऐ लिपट जाने की आदत है उसकी

शायरी

हम खुद बेचा करते कभी दर्देदिल की दवा, आज वक़्त ने हमें ला खड़ा किया हमारी ही दूकान पर. तेरी तलाश में निकलूँ भी तो किआ फायदा, तू बदल गया है खोया होता तो अलग बात थी

शायरी

1. खुदा जाने कैसी कसर रह गई उसे चाहने में, की वो जान हे न पाई की मेरी जान है वो 2. नसीब का खेल भी अजीब तरह से खेला हमने, जो न था नसीब में उसी को टूटकर चाह हमने 3. न वफ़ा का जिक्र होगा न वफ़ा की ...

ना जाने कैसा इम्तिहान ले रही है

ना जाने कैसा इम्तिहान ले रही हैं जिंदगी ...मुकद्दर ....मोहब्बत .........और दोस्त तीनो नाराज चल रहे हैं .......
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प्यार जब जिस्म की चीखों में दफ़न हो जाए,

प्यार जब जिस्म की चीखों में दफ़न हो जाए, ओढ़नी इस तरह उलझे कि कफ़न हो जाए, घर के एहसास जब बाजार की शर्तो में ढले, अजनबी लोग जब हमराह बन के साथ चले, लबों से आसमां तक सबकी दुआ चुक जाए...

दुखिया किसान हम हैं, भारत के रहने वाले,

दुखिया किसान हम हैं, भारत के रहने वाले, बेदम हुए, न दम है, बे-मौत मरने वाले। इंसान बन के आए, गो पाक इसी ज़मीं पर, हमसे मगर हैं अच्छे, ये घास चरने वाले। चक्की मुसीबतों की, दिन-रात चल र...

बताएं तुम्हें हम कि क्या चाहते हैं,

बताएं तुम्हें हम कि क्या चाहते हैं, गुलामी से होना रिहा चाहते हैं। फ़क़त इस ख़ता के सज़ावार हैं हम, कि दर्दे-वतन की दवा चाहते हैं। बुरा चाहते हैं जो हम बेकसां का, हम उनका भी दि...

जो कुछ पड़ेगी मुझ पे मुसीबत उठाऊंगी,

जो कुछ पड़ेगी मुझ पे मुसीबत उठाऊंगी, खि़दमत करूंगी मुल्क की और जेल जाऊंगी। घर-भर को अपने खादी के कपड़े पिन्हाऊंगी, और इन विदेशी लत्तों को लूका लगाऊंगी। चरख़ा चला के छीनूंग...

साँझ ही स्याम को लेन गई

साँझ ही स्याम को लेन गई सुबसी बन मे सब जामिनि जायकै । सीरी बयार छिदे अँधरा उरझे उर झाँखर झार मझाइकै । तेरी सी को करिहै करतूति हुती करिबे सो करी तै बनाइकै । भोर ही आई भटू इत मो द...

पकड़ लो तुम हाँथ मेरा नही तो भीड़ में खो जाउगा मै

पकड़ लो तुम हाँथ मेरा नही तो भीड़ में खो जाउगा मै बिखर जाउगा सम्भाल लो मुझे रख लो सम्भाल के आँचल में अपने बड़ा सुकून मिलता है मुझे वह सासे रोकी है कई बार अपनी केवल अपना नाम आपक...

मैंने लिखा कुछ भी नहीं

मैंने लिखा कुछ भी नहीं तुम ने पढ़ा कुछ भी नहीं । जो भी लिखा दिल से लिखा इस के सिवा कुछ भी नहीं । मुझ से ज़माना है ख़फ़ा मेरी ख़ता कुछ भी नहीं । तुम तो खुदा के बन्दे हो मेरा खुदा क...

एक बार फिर वह

एक बार फिर वह सोच रही है अपनी जिंदगी के बारे में झुग्गी में बर्तन मांजने से सुबह की शुरूआत करती हुई और टूटी खाट की लटकती रस्स्यिों के झूले में रात को करवट बदलने के बीीच जीवि...

जिंदगी का असली #मुकाम अभी बाकी हैं,

🙏जिंदगी का असली #मुकाम अभी बाकी हैं, हमारे इरादों का इंतहा अभी बाकी है, अभी तो नापी है मुटठी भर जमी हमने, अभी तो #सारा जहां बाकी है,🎯